किसी 'खास' की जानकारी भेजें। चनोली का समुदाय,विद्यालय और बच्चे
पिछले सत्र के अनुभवों के आधार पर नए सत्र 2015-16 के लिए समुदाय के साथ राजकीय जूनियर हाई स्कूल चनोली, चनोली (वि.ख. भैसियाछाना) जनपद – अल्मोड़ा, के लिए एक कार्य योजना बनाने पर सत्र के प्रारम्भ में साथी अध्यापकों व विद्यालय प्रबन्धन समिति व सेवित बस्ती के सयाने लोगों के साथ विचार-विमर्श किया गया इस पूरे विमर्श में बच्चों को भी जोड़ा गया। विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों के बारे में व्यापक चर्चा-परिचर्चा हुई। विद्यालय प्रबन्धन समिति व समुदाय की तरफ से विद्यालय को हर सम्भव मदद करने का आश्वासन दिया गया तथा गहन चर्चा के बाद लोकतांत्रिक तरीके से विद्यालय संचालन के लिए निम्नांकित विषयों पर व्यापक चर्चा हुई तथा कार्य योजना तैयार की गई।
विद्यालय संचालन और स्वच्छता अभियान
विद्यालय संचालन में समुदाय व बच्चों की भूमिका को अहम् मानते हुए बच्चों के चार समूह गठित किए गए जिनका नाम, मोनाल, कस्तूरीमृग, ब्रह्मकमल व बुराँश रखे गए। ये क्रमशः उत्तराखण्ड के राजकीय, पक्षी, पशु, पुष्प व वृक्ष के नाम हैं। इन नामों को पाकर बच्चे काफी खुश और उत्साहित हो रहे थे।
समूह गठन के बाद प्रत्येक समूह की विद्यालय संचालन में भूमिका निश्चित की गई। यह तय किया गया कि दैनिक विद्यालय संचालन के कार्यक्रम, प्रार्थना, संगीत, सफाई आदि की जिम्मेदारी प्रत्येक दिन अलग–अलग समूह करेंगे। विद्यालय के हाल (बड़ा कक्ष) में एक बोर्ड लगा दिया गया जिसमें समूह का नाम उस दिन के कार्यक्रम तथा समूह के सदस्यों के कार्य विभाजन को दर्शाया जाता है। कार्य विभाजन इस प्रकार है: सफाई व्यवस्था, दैनिक प्रार्थना, बाल सभा, मेहमान मंत्री आदि। सफाई व्यवस्था में शौचालयों की सफाई, विद्यालय कि सफाई आदि। इस व्यवस्था में अध्यापकों को भी माह में एक बार शौचालयों व विद्यालय कि सफाई करनी होती है। दूसरे समूह के साथी बच्चे जिस समूह कि बारी है उसे अंक देते हैं। सबसे बेहतर कार्य करने वाले समूह के सदस्यों को शैक्षिक भ्रमण तय करने का मौका मिलता है।
विद्यालय प्रबन्धन समिति, समुदाय, शिक्षकों व बच्चों के द्वारा यह तय किया गया कि चनोली ग्राम को प्लास्टिक मुक्त व हरित ग्राम बनाया जाएगा। प्रत्येक बच्चे के घर पर जैविक और अजैविक कूड़ादान होगा तथा प्रत्येक परिवार अपने कूड़े का ठीक से निस्तारण करेगा।
समुदाय की विद्यालय संचालन में भूमिका
समुदाय के सभी लोग विद्यालय संचालन में अपनी भूमिका को देखकर काफी हर्षित और उल्लासित हैं। विद्यालय प्रबन्धन समिति के सदस्यों की विद्यालय संचालन में भूमिका पर एक व्यापक व गहन चर्चा हुई। चर्चा के विषय के रूप में मैंने जैसे ही परिवार में महिला-पुरुष का भेद, घरेलू हिंसा, नशे को रखा, महिला सदस्यों ने एक स्वर में कहा इस पर जरूर चर्चा होनी चाहिए। सबसे पहले यह तय होना चाहिए कि विद्यालय प्रबन्धन समिति के सदस्यों को किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए। वही व्यक्ति विद्यालय प्रबन्धन समिति का सदस्य बनेगा जो नशा, घरेलू हिंसा तथा लिंग भेद नहीं करेगा। इन सारे गम्भीर विषयों पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा तथा गरमा गरम बहस हुई। गहन बहस, चर्चा-परिचर्चा के बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि समुदाय का कोई भी व्यक्ति विशेषकर हमारे विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के अभिभावक घरेलू हिंसा व लिंग भेद नहीं करेंगे तथा विद्यालय प्रबन्धन समिति का सदस्य किसी भी प्रकार का नशा नहीं करेगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय भी लिया गया कि प्रत्येक माह के प्रथम शनिवार को विद्यालय प्रबन्धन समिति बैठक होगी जिसमें सभी सदस्य अनिवार्य रूप से उपस्थित होंगें तथा विद्यालय विकास योजना पर अपना सहयोग देंगे। राष्ट्रीय पर्वों तथा शिक्षक दिवस पर समुदाय के सभी लोग सभी पर्वों को विद्यालय में बच्चों के साथ मनाएँगे तथा अपना-अपना सहयोग विद्यालय को देंगे। बैठक में यह भी तय किया गया कि समय-समय पर समुदाय के लोग व विद्यालय प्रबन्धन समिति के सदस्य विद्यालय में आकर विद्यालय संचालन का कार्य देखेंगे तथा अपने सुझाव विद्यालय को देंगे।
बदलाव की बयार
हमारे विद्यालय की कार्य योजना तथा समुदाय के सहयोग की चर्चा आसपास के गाँव में भी होने लगी। बच्चों ने अन्य ग्राम के बच्चों के साथ विद्यालय संचालन में अपनी भूमिका के अनुभव बाँटे। इससे प्रभावित होकर निजी तथा अन्य सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले नौ बच्चों ने अपने विद्यालय से नाम कटवाकर हमारे विद्यालय में प्रवेश ले लिया।
बच्चों में मौलिक लेखन के लिए डायरी लेखन का कार्य किया जा रहा है। प्रत्येक बच्चे की डायरी बनी हुई है जिसमें बच्चों ने अपने सपनों के बारे में लिखा है, वे क्या सपना देखते हैं? कौन सा खेल उन्हें पसन्द है? क्या ना-पसन्द है आदि आदि। ये सारी जानकारियाँ, गीत व अनुभव को सब बच्चे अपनी-अपनी डायरी में लिखते हैं।
विद्यालय की कार्य योजना तथा समुदाय के सहयोग के बारे में समाचार पत्रों, पत्र पत्रिकाओं में भी छपने लगा परिणामस्वरूप समाज के कई व्यक्तियों ने फोन कर बधाई देना शुरू कर दिया तथा विद्यालय में स्वयं आकर शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे इन अभिनव प्रयोगों को देखने कि जिज्ञासा प्रकट की साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे इन बदलावों में जुड़ने की इच्छा व्यक्त की।
प्रधानाध्यापक श्री भुवन चन्द्र जोशी जी को जब मैंने समाज के सम्मानित लोगों की इच्छा के बारे में अवगत कराया वे काफी प्रसन्न हुए उन्होंने कहा, “यह तो समाज का बहुत ही स्वागत योग्य कदम है, विद्यालय में यदि इस तरह से लोग जुड़ेंगे तो उनके अनुभवों से बच्चे, विद्यालय तथा समुदाय लाभान्नवित होंगे, आप ऐसे व्यक्तियों को विद्यालय में जरूर आमंत्रित करें।” प्रधानाध्यापक महोदय ने जिस तरह से मेरा उत्साहवर्धन किया उससे मुझमें एक नई ऊर्जा का संचरण हुआ तथा मेरा मनोबल काफी बढ़ा।
सिकंदर जोशी राम कृष्ण मिशन से जुड़े हैं तथा Himalaya Seva Foundation के माध्यम से विद्यालय को पिछले एक वर्ष से मदद कर रहे हैं। विद्यालय की कार्य योजना के बारे में मैंने उनसे चर्चा की तथा विद्यालय में उन्हें आमंत्रित किया। जोशी जी ने विद्यालय में आकर बच्चों के साथ बातचीत की और उनसे उनकी आवश्यकताओं, सपनों व उनकी पसन्द के बारे में बातचीत की। बच्चों से बातचीत करके पता चला सभी बच्चे नया स्कूल बैग, स्वेटर, छाता, कापियाँ, कलर, चार्ट, नक़्शे आदि चीजें चाहते हैं। जोशी जी ने बच्चों की बात तुरन्त मान ली राम कृष्ण कुटीर अल्मोड़ा शारदा मठ और Himalaya Seva Foundation की ओर से अगले ही हफ्ते सारे बच्चों के लिए नए स्कूल बैग, स्वेटर, छाता, कापियाँ, चार्ट, रंग के डिब्बे पेंसिल आदि सामग्री लेकर जोशी जी विद्यालय पहुँच गए। इन सारे उपहारों को पाकर बच्चे काफी खुश हो रहे थे। बच्चे जोशी जी के साथ बात करने में अपने आप को काफी सहज महसूस करते हैं। छोटे बच्चे उनकी गोद में आकर बैठ जाते हैं बड़े बच्चे उन्हें पूरे आत्मविश्वास के साथ मैत्रीपूर्ण तरीके से विद्यालय की गतिविधियों के बारे में अवगत कराते हैं। जोशी जी चार्ट व कहानियों के माध्यम से आत्मविश्वास व व्यक्तित्व विकास के बारे में समझाते हैं। बच्चे उनसे सहजता से प्रश्न करते हैं तथा उनसे चर्चा करते हैं।
समुदाय के सभी लोग सभी आगंतुकों का स्वागत करते हैं बच्चे क्राफ्ट का काम सीख रहे हैं। वे अपने हाथों से बनाये गए ताज से मेहमानों को ताज पहना कर स्वागत करते हैं।
अब हर माह कोई न कोई विशिष्ट व्यक्ति जिसका शिक्षा के क्षेत्र व बच्चों के साथ काम करने का विशिष्ट अनुभव है आकर बच्चों के साथ एक या दो दिन की कार्यशाला करता है। इन कार्यशालाओं में बच्चों को खूब मजा आता है। बाल प्रहरी के सम्पादक श्री उदय किरौला जी द्वारा बच्चों के साथ ड्राइंग, पेंटिंग, गीत, डिबेट, मौलिक लेखन व क्राफ्ट आदि बनाने की कार्यशालाएँ की जिसे बच्चों ने खूब सराहा। प्रसन्ना कपूर बच्चों के साथ थिएटर क्लास कर नुक्कड़ नाटक सिखाती हैं। बच्चों में नुक्कड़ नाटक करने से गजब का आत्मविश्वास आ रहा है। आर.टी.ई.फोरम उत्तराखण्ड की तरफ से विद्यालय विकास योजना में विद्यालय प्रबन्धन समिति की भूमिका व शिक्षा के अधिकार सम्बन्धित साहित्य व पोस्टर्स विद्यालय को उपलब्ध कराए हैं। कार्यशालाओं के माध्यम से विद्यालय प्रबन्धन समिति को विद्यालय विकास योजना बनाने का प्रयास चल रहा है। दैनिक समाचार पत्रों में कार्यशाला की खबर तथा अपनी फोटो देखकर बच्चे रोमांचित होते हैं। समुदाय के लोग अपने ग्राम व विद्यालय का नाम समाचार पत्रों में देखकर गौरवान्नवित महसूस करते हैं।
विद्यालय प्रबन्धन समिति की बैठक में विद्यालय की आवश्यकताओं पर चर्चा होती है। प्राथमिकता के आधार पर यथाशीघ्र आवश्यकता को समुदाय के सहयोग से पूरा कर लिया जाता है। सीखने-सिखाने व विद्यालय का समुदाय के साथ काम करने के इस अभिनव प्रयोग को मेरे बहुत सारे मित्र सराह रहे हैं तथा इस बदलाव की यात्रा में एक सहयात्री बनकर विद्यालय में आकर बच्चों के साथ बातचीत कर विद्यालय में मदद कर रहे हैं। कोई पुस्तकालय के लिए पुस्तकें भेज रहा है तो कोई बैठक व्यवस्था के लिए कारपेट व चटाई भेज रहा है, तो कोई खेल का सामान भेज रहा है। समाज व समुदाय के इस अपनेपन, प्यार व सहयोग को देखकर पूरा विद्यालय परिवार आनंदित है तथा विद्यालय आनन्दालय के स्वरूप में आ गया है।
कल्याण सिंह मनकोटी (सहायक अध्यापक) राजकीय जूनियर हाई स्कूल चनोली (वि.ख. भैसियाछाना) पोस्ट ऑफिस – बाड़ेछीना। जनपद – अल्मोड़ा, पिन -263624
टिप्पणियाँ
मै इस विद्यालय की कार्य योजना
मै इस विद्यालय की कार्य योजना से प्रभावित हूँ।मै अपने विद्यालय मे प्रयोग करुंगा।बाल संसद हमारे यहाँ कार्य करती है।
समस्त अध्यापको को बधाई
समस्त अध्यापको को बधाई