एक शिक्षिका ने एक विशेष प्रकार की गतिविधि से बच्चों पर ऐसा प्रभाव डाला है कि छोटे से गाँव के ज्यादातर मजदूर किसानों के बच्चे अपने बड़े बुजुर्गों के साथ सम्बन्धों का महत्त्व जान रहे हैं। ये बच्चे अपने मददगार व्यक्तियों के प्रति आभार जताने के नए तरीके सीख रहे हैं। साल में दो-तीन मौकों पर इस...
शैक्षिक दख़ल : स्कूल कुछ हटकर -2 अंक

Description:
शिक्षकों को ही अवसर तलाशने होंगे : महेश पुनेठा । स्कूल को समुदाय से कैसे जोड़ा जाए : फेसबुक परिचर्चा । यास्नाया पोल्याना : एक नामुमकिन सा सपना – रविकांत । बाल सहयोगी है गिजूभाई का दिवास्वप्न : मौहम्मद औवेश । नोहर चन्द्रा की पाठशाला : भास्कर चौधुरी । सृजन के मधुर गीत गाता एक विद्यालय : प्रमोद दीक्षित ‘मलय’ । घण्टी एक तरह की गुलामी : विपिन जोशी । जहाँ बच्चे खुद करते हैं : राजीव जोशी । अकेले टेक्नोलॉजी नहीं है, स्कूलों की बीमारी का इलाज : कोंटारो टोमाया । कॉल सेन्टर (कहानी) : विजय गौड़ । एक झन्नाटेदार थप्पड़ (बचपन) : अनिल कार्की । बच्चों तथा विद्यालयों में रचनात्मकता : डॉ. नंद किशोर हटवाल । बच्चों की शिक्षा में बदलाव की जरूरत : रमेश उपाध्याय (साक्षात्कार) । जोशी सर, पुस्तकालय,दीवार पत्रिका और मैं : संजय कापड़ी । साठ घंटे की पाठशाला ( जीवन जागृति निकेतन विद्यालय) । शिक्षक के मनोविज्ञान का भी ध्यान रखना जरूरी : नितेश वर्मा
किताब पढ़ना यानि आगे बढ़ना (बाल साहित्य) : मनोहर मनु
क्या निजीकरण में है सरकारी शिक्षा का इलाज : दिनेश कर्नाटक