एक शिक्षिका ने एक विशेष प्रकार की गतिविधि से बच्चों पर ऐसा प्रभाव डाला है कि छोटे से गाँव के ज्यादातर मजदूर किसानों के बच्चे अपने बड़े बुजुर्गों के साथ सम्बन्धों का महत्त्व जान रहे हैं। ये बच्चे अपने मददगार व्यक्तियों के प्रति आभार जताने के नए तरीके सीख रहे हैं। साल में दो-तीन मौकों पर इस...
शैक्षिक दख़ल : अंक 6, जुलाई 2015 में

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शैक्षिक दख़ल : अंक 6 ( जुलाई 2015) में
प्रारम्भ * भयमुक्त वातावरण : विचार और वास्तविकता * महेश चन्द्र पुनेठा। आलेख * स्कूली बच्चों में भय, तनाव एवं दुश्चिंता के प्रभाव * डॉ. केवलानंद कांडपाल । शिक्षा और भय * डॉ.शशांक शुक्ला । गौर तलब * गंभीर खतरे में स्कूल * रोहित धनकर। परिचर्चा * कैसा है भय और शिक्षा का रिश्ता ।कहानी * जाग तुझको दूर जाना * बिपिन कुमार शर्मा। बचपन * न इधर के रहे, न उधर के * जावेद उस्मानी । अनुभव * बिन पुस्तक जीवन ऐसा, बिन खिड़की घर जैसा * आकाश सारस्वत । भाषा की कक्षा में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं अवसर * प्रमोद दीक्षित ‘मलय’ । स्कूल में नाटक * रेखा चमोली। हर बच्चे में मुझे अपना बच्चा दिखता है * रामकिशोर पाण्डेय । परिसंवाद * सृजनात्मक लेखन के विकास में कार्यशालाओं की भूमिका * राजेश उत्साही । नजरिया * शिक्षक के लिए आवश्यक है बच्चों को समझना * रमेश चन्द्र जोशी। विचार * अपने सपने को जिंदा रखना होगा * आशुतोष भाकुनी ।अध्ययन * बालमन की पड़ताल * राहुल देव। पेंरेटिंग * पापा, वे ऐसे लहरा के क्यों चलते हैं ? * स्वतंत्र मिश्र ।संवाद * भय के बारे में बच्चे क्या सोचते हैं ? * बालसंवाद। अखबारों से * डॉ. दिनेश चन्द्र जोशी ।मिसाल * रमेश धारू : एक चलते-फिरते गतिविधि केन्द्र * अर्जुन सिंह। इस बार की पुस्तक * आज तुमने स्कूल में क्या पूछा? *राजीव जोशी। और अंत में * हम किस ओर जाना चाहते हैं ? * दिनेश कर्नाटक
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